महिला शक्ति – बाधाएँ तोड़ते हुए, राष्ट्र गढ़ते हुए 🚂✈️👩⚕️👩🔧
एक पिक्चर एडिटर और विज़ुअलाइज़र के रूप में मुझे एक विशेष असाइनमेंट पर काम करने का अवसर मिला था—अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर। मेरा कार्य था ऐसी महिलाओं की तस्वीरें संकलित और प्रस्तुत करना जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है—ऐसी महिलाएँ जिनकी यात्रा अनगिनत अन्य महिलाओं को बड़े सपने देखने और अधिक हासिल करने के लिए प्रेरित करती है।
यह आसान काम नहीं था, क्योंकि आज महिलाएँ हर जगह हैं—रूढ़िवादिता तोड़ती हुईं और नेतृत्व करती हुईं। चाहे वह लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर या लंबी दूरी के विमान उड़ाना हो, बस, ट्रक या ट्रेन चलाना हो—महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। वे इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, वैज्ञानिक, उद्यमी, निर्माता और परिवर्तनकारी शक्ति हैं, जो भारत की विकास गाथा में अमूल्य योगदान दे रही हैं।

कुछ प्रेरक उदाहरण:
✨ गुंजन सक्सेना — भारतीय वायुसेना की साहसी हेलीकॉप्टर पायलट, जिनकी कहानी पर्दे तक पहुँची।
✨ डॉ. जी. माधवी लता — जिन्होंने हिमालय की सबसे जटिल भू-परिस्थिति में चिनाब पुल की नींव डिज़ाइन और स्थिर करने में अहम भूमिका निभाई।
✨ सुरेखा यादव — एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर और प्रतिष्ठित वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाने वाली पहली महिला।
✨ जोया अग्रवाल — एयर इंडिया की पायलट जिन्होंने 2021 में एक ऑल-वुमेन क्रू के साथ सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु तक दुनिया की सबसे लंबी नॉन-स्टॉप उड़ान भरकर इतिहास रचा, उत्तरी ध्रुव को पार करते हुए। इस उपलब्धि ने उन्हें SFO एविएशन म्यूज़ियम में विशेष स्थान दिलाया।
और यह सूची लंबी होती जाती है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में महिलाएँ सीमाएँ लांघती हुईं इतिहास रच रही हैं।
अपने असाइनमेंट के दौरान मुझे झारखंड में एक महिला ट्रेन ड्राइवर दीपाली अमृत की तस्वीरें खींचने का सम्मान मिला। उन्हें आत्मविश्वास के साथ एक विशाल ट्रेन इंजन संचालित करते देखना, यह याद दिलाता था कि हम कितनी दूर आ चुके हैं। इस विशेष तस्वीर में मेरा उद्देश्य था चलती ट्रेन की ऊर्जा, ड्राइवर के फोकस और पृष्ठभूमि के अनंत विस्तार को एक साथ दिखाना। मैंने Canon EOS 1D Mark III, 16–35mm लेंस, f/22, ISO 200, 1/15s स्लो शटर स्पीड और फिल-इन फ्लैश का इस्तेमाल किया, ताकि बाहर की दिन की रोशनी और इंजन के केबिन की रोशनी में संतुलन बनाया जा सके। परिणामस्वरूप एक ऐसी छवि सामने आई जिसने न केवल गति को दर्शाया, बल्कि नियंत्रण कक्ष में बैठी महिला की शक्ति और आत्मबल को भी मनाया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) केवल उपलब्धियों की सराहना भर नहीं है, बल्कि यह लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकार और अब भी मौजूद बाधाओं को खत्म करने का आह्वान है। उपलब्धियों का उत्सव मनाते हुए हमें आगे की राह भी देखनी होगी।
अपने कैमरे की नज़र से मैंने सिर्फ़ एक चलती हुई ट्रेन नहीं देखी—बल्कि प्रगति का प्रतीक देखा, जिसे महिलाएँ शक्ति देकर आगे बढ़ा रही हैं। 🚆✨
पाठ एवं चित्र : अशोक करण
📍 ashokkaran.blogspot.com
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