फुलवरिया डैम, रजौली: बिहार का छिपा हुआ रत्न
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रजौली, नवादा (बिहार) की हरी–भरी पहाड़ियों के बीच बसा फुलवरिया डैम एक मनमोहक जलाशय है, जो अपनी अप्रतिम सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करता है। NH-20 (रजौली–नवादा हाईवे) से कुछ ही दूरी पर स्थित यह शानदार बांध तिलैया नदी पर फुलवरिया गांव के निकट बनाया गया था। इसकी निर्माण प्रक्रिया 1979 में शुरू हुई और 1985 में पूर्ण हुई, जिसकी लंबाई 1135 मीटर और ऊँचाई 25.13 मीटर है।
प्राकृतिक और आध्यात्मिक महत्व का संगम
फुलवरिया डैम सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। यह क्षेत्र हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जहाँ प्राचीन समय में ऋषि दुर्वासा, गौतम और लोमश ने अपने आश्रमों की स्थापना की थी। साथ ही, यह क्षेत्र गौतम बुद्ध वन्यजीव अभयारण्य का भी हिस्सा है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाता है।
“बिहार का मेघालय“
चारों ओर फैली हरियाली और रमणीय दृश्यों के कारण, फुलवरिया डैम को “बिहार का मेघालय” भी कहा जाता है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे यात्रियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं। जलाशय के भीतर छोटे–छोटे द्वीप हैं, जो हरी–भरी वनस्पतियों से आच्छादित हैं और देखने में अत्यंत मनोरम लगते हैं। बिहार सरकार इसकी पर्यटन क्षमता को ध्यान में रखते हुए इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है।
बोटिंग, पिकनिक और स्थानीय अनुभव
पर्यटक यहाँ डैम की शांत जलधारा में नौका विहार का आनंद ले सकते हैं, जिससे वे इसकी अद्भुत प्राकृतिक छटा को करीब से महसूस कर सकते हैं। डैम के भीतर मौजूद हरे–भरे छोटे द्वीप पिकनिक के लिए बेहतरीन स्थान हैं, जहाँ परिवार और यात्रा प्रेमी प्रकृति की गोद में सुकून के पल बिता सकते हैं।
आसपास के गाँवों में पारंपरिक जीवनशैली का अनोखा अनुभव लिया जा सकता है। स्थानीय लोग मुख्य रूप से मछली पकड़ने का काम करते हैं और पारंपरिक नावों से आवागमन करते हैं। खासकर, महिलाओं का समूह में नाव चलाना इस स्थान के सौंदर्य को और भी आकर्षक बनाता है। पर्यटक यहाँ ताज़ी पकड़ी गई मछलियों का आनंद भी ले सकते हैं, जो स्थानीय स्वाद के साथ परोसी जाती हैं और एक अनूठी व्यंजन परंपरा का अहसास कराती हैं।
एक डूबा हुआ इतिहास: चिरालिया गाँव की कहानी
डैम के निर्माण के दौरान चिरालिया गाँव जलमग्न हो गया था, जिससे वहाँ के निवासियों को राजौली प्रखंड के हरदिया गाँव में पुनः बसाया गया। इस डैम की सबसे रोचक बात है एक आधी डूबी हुई मस्जिद, जिसे स्थानीय लोग नूरी मस्जिद के नाम से जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बनी थी, और आज भी इसका एक हिस्सा पानी से बाहर दिखता है। यह ऐतिहासिक संरचना पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए जिज्ञासा और चर्चा का विषय बनी हुई है।
फुलवरिया डैम कैसे पहुँचें?
फुलवरिया डैम NH-20 (रांची–पटना हाईवे) पर स्थित होने के कारण आसानी से पहुँचा जा सकता है।
• कोडरमा से: लगभग 40 किमी
• नवादा से: लगभग 30 किमी
• रजौली से: स्थानीय परिवहन द्वारा सुगमता से पहुँचा जा सकता है।
क्यों जाएं फुलवरिया डैम?
यदि आप प्रकृति प्रेमी, रोमांच के शौकीन या अनदेखे पर्यटन स्थलों को खोजने वाले यात्री हैं, तो फुलवरिया डैम आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है। चाहे यह यहाँ की प्राकृतिक छटा हो, ऐतिहासिक धरोहर हो, या सांस्कृतिक विविधता, यहाँ हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास जरूर है।
तस्वीरों के विवरण:
- फुलवरिया डैम में नाव चलाती महिलाएँ।
- फुलवरिया डैम पर सूर्यास्त का दृश्य।
- फुलवरिया डैम में आधी डूबी मस्जिद।
📷 टेक्स्ट और फ़ोटो: अशोक करन
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