लोध जलप्रपात – जंगल के बीच प्रकृति की गर्जना 🌿💧
जब पूरी दुनिया ने विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया, तब झारखंड फोटोग्राफिक एसोसिएशन (JPA) ने 18 और 19 अगस्त को मनमोहक हिल स्टेशन नेतरहाट में दो दिवसीय फोटोग्राफी यात्रा का आयोजन किया। लगभग 70 प्रतिभागियों के लिए परिवहन, भोजन और शानदार रिसॉर्ट की व्यवस्था के साथ यह प्रस्ताव बेहद आकर्षक था – और मैंने तुरंत नाम दर्ज कर लिया।
“छोटानागपुर की रानी” कहलाने वाला नेतरहाट झारखंड का एक शांत और रमणीय स्थल है। यहां के मनमोहक सूर्योदय और सूर्यास्त, घने चीड़ के जंगल, ठंडी जलवायु और अद्भुत जलप्रपात पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। विशेष रूप से मैगनोलिया प्वाइंट का सूर्यास्त जादुई अनुभव प्रदान करता है। प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता से भरपूर यह स्थान अब इको–टूरिज्म हब के रूप में भी विकसित हो रहा है।
इन सब आकर्षणों में सबसे अनमोल रत्न है लोध जलप्रपात, जिसे बुढ़ा घाट के नाम से भी जाना जाता है। 143 मीटर (469 फीट) की ऊंचाई के साथ यह झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है और भारत में 21वें स्थान पर है। लातेहार जिले के पलामू टाइगर रिजर्व के बीचोबीच स्थित यह अद्भुत जलप्रपात बुढ़ा नदी द्वारा निर्मित है और घने जंगलों से घिरा है, जहां विविध प्रकार के वनस्पति और जीव–जंतु पाए जाते हैं। बरसात के मौसम (जुलाई–अक्टूबर) में इसकी गर्जना और जल प्रवाह और भी प्रचंड हो जाता है।
लोध जलप्रपात की हमारी यात्रा स्वयं में एक रोमांचक अनुभव थी। वन विभाग ने झरने से लगभग 1.5 किमी पहले वाहनों को रोक दिया, जिसके बाद हमें 5–6 किमी तक कठिन रास्तों पर पैदल चलना पड़ा। दो कैमरे, भारी ट्राइपॉड और छाता लेकर यह सफर और भी चुनौतीपूर्ण हो गया – लेकिन JPA के सदस्यों ने मेरा सामान बांटकर मदद की और अंततः मैं दर्शक स्थल तक पहुंच गया। और वहां था – भव्य लोध जलप्रपात, अपनी पूरी शान और गर्जना के साथ नीचे गिरता हुआ। वह दृश्य अविस्मरणीय था।
मैंने तुरंत अपना कैमरा सेट किया और इस अद्भुत नजारे की कुछ तस्वीरें कैद कीं। यहां उन्हीं में से एक तस्वीर साझा कर रहा हूं – बरसात के मौसम में लोध जलप्रपात की भव्यता की एक झलक।
📸 टेक्स्ट एवं फोटो – अशोक करन
🌐 ashokkaran.blogspot.com
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