वट सावित्री पूजा: भक्ति, प्रेम और परंपरा का उत्सव
लेखक: अशोक करन | ashokkaran.blogspot.com
आज सुबह की सैर के दौरान एक अत्यंत सुंदर दृश्य देखने को मिला — महिलाएं चमकदार लाल और पीली साड़ियों में सजी हुई थीं, पारंपरिक आभूषण पहने हुए, कांसे की थालियों में पूजा की सामग्री लिए मंदिर की ओर जा रही थीं। वे भक्ति में लीन थीं। तभी मुझे याद आया — आज वट सावित्री पूजा है — एक पावन दिन जिसे हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पतियों की सेहत, दीर्घायु और समृद्धि के लिए व्रत रखकर और प्रार्थना करके मनाती हैं।
इस पूजा की एक प्रमुख रस्म है — वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की सात बार परिक्रमा करना और उसके चारों ओर पवित्र सूत (कच्चा धागा) बांधना। यह क्रिया “सौभाग्यवती भव” की कामना का प्रतीक है — अपने पति के साथ अटूट वैवाहिक बंधन और जीवन भर के सौभाग्य का आशीर्वाद। कई हिंदू महिलाओं के लिए यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि प्रेम, निष्ठा और आध्यात्मिकता से जुड़ी एक गहरी भावना होती है।
वट सावित्री पूजा की जड़ें सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा में हैं। जब सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु वट वृक्ष के नीचे हो गई थी, तो उसकी अटूट भक्ति और बुद्धिमत्ता से मृत्यु के देवता यमराज भी प्रभावित हुए। उसकी दृढ़ता से प्रसन्न होकर यमराज ने उसकी इच्छा पूरी की और सत्यवान को जीवनदान दिया, साथ ही सौ पुत्रों का वरदान भी दिया।
यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है और सनातन धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपासना है। यह पवित्रता, आध्यात्मिक शक्ति और प्रेम व प्रार्थना की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है। महिलाएं वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु, ब्रह्मा और महेश की पूजा करती हैं और अपने परिवार की सुख–समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
कुछ क्षेत्रों में यह पर्व वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और मुख्य रूप से पश्चिमी और दक्षिणी भारत में मनाया जाता है। नवविवाहित महिलाओं के लिए यह विशेष उत्साह का समय होता है, क्योंकि यह उनका पहला वट सावित्री व्रत होता है — उनके वैवाहिक जीवन की एक अविस्मरणीय शुरुआत।
बाजारों में उत्सव का उल्लास साफ देखा जा सकता है। दुकानों में लाल साड़ियां, पूजा की वस्तुएं, सौंदर्य प्रसाधन, गिफ्ट सेट और सजावटी सामान से रौनक रहती है। बांस और पत्तों से बने पंखे ₹20–₹50 में बिकते हैं, सुंदर रूप से सजे टोकरे ₹250–₹500 तक के होते हैं, और फलों व पूजा पुस्तकों (₹20–₹30) की मांग बढ़ जाती है।
ब्यूटी पार्लरों में महिलाएं श्रृंगार और मेहंदी के लिए लंबी कतारों में खड़ी नजर आती हैं — यह भी एक प्रिय परंपरा है। मेहंदी कलाकार सुंदर डिज़ाइनों की विविधता प्रस्तुत करते हैं:
1.
कमल पुष्प आकृति – कलाई के चारों ओर नाजुक फूलों की कला।
2.
गुलाब वृत्त डिजाइन – प्रेममय और उत्सवपूर्ण।
3.
पत्तों पर केंद्रित डिजाइन – प्रकृति से प्रेरित सुंदरता।
4.
पूर्ण हथेली बेल डिज़ाइन – पारंपरिक और विस्तृत।
5.
मंडला कला – हथेली के मध्य में जटिल आकृति।
6.
सरल उंगलियों के सिरे की डिज़ाइन – सादगी में सुंदरता।
इन डिज़ाइनों की कीमत ₹500 से ₹1500 तक होती है, जो डिज़ाइन की जटिलता पर निर्भर करती है। संपन्न वर्ग की महिलाएं अक्सर अधिक जटिल डिज़ाइन पसंद करती हैं, जिससे इस सांस्कृतिक उत्सव की भव्यता और बढ़ जाती है।
वट सावित्री पूजा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि प्रेम, आस्था और अटूट भक्ति की एक सजीव अभिव्यक्ति है।
हर वह महिला जो यह व्रत करती है, उसके जीवन में सुख, शांति और पूर्ण वैवाहिक आनंद बना रहे — यही कामना है।
सभी विवाहित महिलाओं को वट सावित्री पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।
प्रार्थना के हर शब्द के साथ आपका और आपके जीवनसाथी का प्रेम और सम्मान और भी गहरा होता जाए।
📷 [चित्र: वट वृक्ष के नीचे पूजा करती हुई महिलाएं — वट सावित्री दिवस पर]
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— अशोक करन
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