बचपन: जो फिर कभी लौटकर नहीं आता
बचपन जीवन का एक अनमोल चरण है—यह खुशियों, मासूमियत और असीम जिज्ञासा से भरा होता है। यह वह समय होता है जब जीवन सरल होता है, जिम्मेदारियों से मुक्त होता है और परिवार, परिवेश व समाज के प्रेम और देखभाल से आकार लेता है। जन्म से किशोरावस्था तक, आमतौर पर 13 वर्ष की आयु तक, बचपन माना जाता है, हालांकि कानूनी रूप से यह तब समाप्त होता है जब व्यक्ति परिपक्वता प्राप्त कर लेता है। यही वह समय होता है जब यादें बनती हैं—ऐसी यादें जो जीवनभर हमारे साथ रहती हैं।
जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो खुद को भाग्यशाली महसूस करता हूँ कि मेरा बचपन हंसी, रोमांच और साथ के पलों से भरा हुआ था। मुझे वो दिन आज भी याद हैं जब मैं अपने भाई–बहनों के साथ खेतों में खेलता था, हर मौसम का आनंद लेता था और कई बार माँ–बाप से डांट भी खाता था। परिवार में सबसे बड़ा होने के नाते, मुझे अपने छोटे भाई–बहनों का ख्याल भी रखना पड़ता था, लेकिन यह ज़िम्मेदारी मेरे लिए प्यार से निभाने वाली चीज़ थी। दोस्तों के साथ लोकल खेल खेलने और त्योहारों में उत्साह के साथ झूमने की यादें आज भी मेरे दिल में गहराई से बसी हुई हैं।
आज के समय की तुलना में, हमारे बचपन में न स्मार्टफोन थे, न कंप्यूटर और न ही सोशल मीडिया। सब कुछ मैन्युअल था और जीवन कहीं ज्यादा सरल था। अब हम देखते हैं कि बच्चे रियलिटी शो के माध्यम से रातोंरात प्रसिद्ध हो जाते हैं, अपनी गायन, नृत्य और अन्य कलाओं को प्रदर्शित करके। ये मंच बच्चों को अद्भुत अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन हमारे बचपन और उनके बचपन के बीच का अंतर भी उजागर करते हैं। आज के बच्चों को ज्यादा सुविधाएँ और अवसर मिल रहे हैं, लेकिन क्या वे बचपन को वैसे ही जी पाते हैं, जैसे हमने जिया?
ज्यादातर लोगों के लिए बचपन खुशियों से भरा होता है, भले ही परिस्थितियाँ कठिन क्यों न हों। बच्चे छोटी–छोटी चीज़ों में आनंद खोज लेते हैं—गाँव के तालाब में नहाना, मिट्टी में खेलना, बेफिक्र हंसना। लेकिन हर बच्चा इतना भाग्यशाली नहीं होता। युद्धग्रस्त क्षेत्रों में, बच्चों का बचपन लड़ाई, पीड़ा और डर के साए में बीतता है। वियतनाम युद्ध के दौरान खींची गई किम फुक की प्रसिद्ध तस्वीर हमें इस कड़वी सच्चाई की याद दिलाती है। आज भी, इज़राइल–फिलिस्तीन और यूक्रेन–रूस जैसे संघर्षों में बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैं, उनकी मासूमियत मलबे में दफ्न हो जाती है।
हर बच्चे को, चाहे वह अमीर हो या गरीब, प्रेम, खेल और खुशियों से भरा बचपन जीने का अधिकार है। यह एक ऐसा समय है जो कभी लौटकर नहीं आता, इसलिए इसकी सुंदरता को संजोना चाहिए। गर्मी की तपिश में फटे हुए पाइप से बहते पानी में खेलते बच्चों की मेरी खींची हुई तस्वीर इसी भावना को दर्शाती है—निर्मल और बेपरवाह खुशी।
📷 लेख एवं तस्वीर: अशोक करन
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