दीपावली उत्सव – प्रकाश, आनंद और एकता का पर्व 🌟
पाठ एवं चित्र – अशोक करण
दीपावली, जिसे दीवाली के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्रिय और पावन त्योहारों में से एक है — यह प्रकाश की अंधकार पर और अच्छाई की बुराई पर विजय का उत्सव है। इस पावन अवसर पर घरों में दीपों की पंक्तियाँ, रंग-बिरंगी रोशनियाँ और सजे-धजे आँगन जीवंत हो उठते हैं। परिवार एकत्र होकर माँ लक्ष्मी की आराधना समृद्धि के लिए और भगवान गणेश की पूजा ज्ञान के लिए करते हैं।

पाँच दिवसीय यह त्योहार भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अर्थ रखता है — उत्तर भारत में यह भगवान राम के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने का प्रतीक है, दक्षिण भारत में भगवान कृष्ण के नरकासुर पर विजय की याद दिलाता है। जैन धर्म में यह भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, वहीं सिख धर्म में यह गुरु हरगोविंद जी की कैद से मुक्ति का प्रतीक है। समय के साथ, दीपावली एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में विकसित हो चुकी है — जो एकता, आस्था और आनंद का प्रतीक है।

जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो यह पर्व हमेशा बचपन की मीठी यादों से भर देता है — भाई-बहनों के साथ घरौंदा बनाना, बांस और सेलोफेन से मोमबत्तियाँ तैयार करना, और छोटे कस्बों के बाजारों से पटाखे खरीदने के लिए साइकिल से कई मील चलना। वे स्मृतियाँ आज भी हर दीपावली को उसी बाल सुलभ उत्साह से आलोकित करती हैं।

इस वर्ष भी पूरे भारत में दीपावली का उल्लास और प्रकाश झिलमिलाता रहा। रांची में घरों और सड़कों ने दीपों, रंगीन रोशनियों और हँसी से जगमगाया। अनेक समुदाय खुले मैदानों में एकत्र हुए — सौहार्द और आनंद के साथ एकता का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करते हुए।

✨ अपने सभी मित्रों और पाठकों को हृदय से शुभकामनाएँ — शुभ, मंगलमय और प्रकाशमय दीपावली की! ✨

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