महा पर्व छठ – आस्था, प्रकृति और पवित्रता का उत्सव

महा पर्व छठ – आस्था, प्रकृति और पवित्रता का उत्सव 🌞

पाठ एवं चित्र – अशोक करण

चार दिनों तक चलने वाला यह बहुप्रतीक्षित, पर्यावरण-सम्मत और अत्यंत आध्यात्मिक हिंदू पर्व — छठ महा पर्व — कल सुबह श्रद्धा और भक्ति के साथ सम्पन्न हुआ। यह पर्व भगवान सूर्य (सूर्य देव) और छठी मइया को समर्पित है, जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कठोर व्रत, शुद्धता और पर्यावरण के प्रति सम्मान के लिए प्रसिद्ध यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, तपस्या और पवित्रता का अद्वितीय प्रतीक है।

A devogee worships to the setting sun in Ranchi.

मुझे आज भी अपने बचपन के वे दिन याद हैं जब मेरी माता जी यह पवित्र पूजा अत्यंत श्रद्धा और सादगी से करती थीं। हम बच्चे बड़े उत्साह से “खरना प्रसाद” — मिट्टी के चूल्हे पर सूखी लकड़ी से बने खीर और रोटी — का इंतजार करते थे। उसकी सोंधी सुगंध और स्वाद आज भी स्मृतियों में ताज़ा है। मैं भी हर रस्म में पूरे जोश से हाथ बँटाता था, कभी पूजा की टोकरी सिर पर रखकर भी ले जाता था!

Penance is performed during Chhath puja in Ranchi, Jharkhand, India

हर साल छठ पर्व का मौसम आते ही स्थानीय बाजारों का रूप बदल जाता है — सब्ज़ियों, फलों, बाँस की सुप/मुरम और मिट्टी के बर्तनों की कीमतें अचानक बढ़ जाती हैं। केले का पूरा घौद ₹500–700 तक पहुँच जाता है, और लगभग हर वस्तु ₹100 प्रति किलो के पार जाती है। फिर भी श्रद्धालु इन सबको आनंदपूर्वक स्वीकार करते हैं, क्योंकि इस पर्व का सार आस्था, पवित्रता और स्थिरता में निहित है।

Chhath puja is being performed at a makeshift pond in Ranchi, Jharkhand, India

✨ छठ महा पर्व का आध्यात्मिक सार ✨
प्रकृति का उत्सव: छठ सूर्य की आराधना है — जो जीवन और ऊर्जा का अनंत स्रोत हैं।
दुर्लभ द्वैध उपासना: अन्य पूजा-पद्धतियों से भिन्न, इसमें भक्त अस्त होते और उदय होते दोनों सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जो विनम्रता और नए आरंभ का प्रतीक है।
अनुशासन और शुद्धता: व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं, जो आत्मबल और आंतरिक शुद्धि का प्रतीक है।
सामाजिक एकता: छठ जाति, धर्म और वर्ग की सीमाओं से परे, समाज को एकजुट करता है — जब सभी श्रद्धालु घाटों पर एक साथ अर्पण करते हैं।
पर्यावरण चेतना: इस पर्व में मूर्ति पूजा या विसर्जन नहीं होता — केवल प्राकृतिक वस्तुएँ जैसे फल, गन्ना, और मिट्टी के दीपक अर्पित किए जाते हैं, जो पर्यावरण के साथ सामंजस्य को दर्शाते हैं।

Vermilion put on forehead of a Devotee during Chhath puja in Ranchi, Jharkhand, India.

🌅 छठ पूजा के चार पवित्र दिन 🌅
1️⃣ नहायखाय: श्रद्धालु पवित्र स्नान कर बिना प्याज-लहसुन का शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
2️⃣ खरना: दिनभर निर्जला उपवास के बाद शाम को खीर, रोटी और फल अर्पित कर व्रत खोला जाता है।
3️⃣ संध्या अर्घ्य: श्रद्धालु जल में कमर-तक खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।
4️⃣ उषा अर्घ्य: अंतिम दिन प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इसके बाद 36 घंटे का व्रत समाप्त कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।

🍪 गेहूँ के आटे, गुड़ और घी से बना पारंपरिक “ठेकुआ” छठ पूजा का सबसे प्रिय और पवित्र प्रसाद है। पूरा वातावरण शारदा सिन्हा, मैथिली ठाकुर और मनोज तिवारी जैसे कलाकारों के लोकगीतों से गूंज उठता है, जो सूर्य देव और छठी मइया की दिव्य ऊर्जा का गुणगान करते हैं।

हजारों श्रद्धालुओं को घाटों पर एक साथ दीपों की रोशनी में भजन गाते देखना सचमुच एक दिव्य और अद्भुत अनुभव होता है।

Fruits are on sale for the Chhath puja in Ranchi, Jharkhand, India.

📸 चित्रों में

  1. रांची में छठ पूजा करते श्रद्धालु।
  2. रांची में छठ पर्व के दौरान फलों की बिक्री।
  3. रांची के छठ तालाब पर एकत्रित श्रद्धालु।
  4. रांची में छठ पूजा करते श्रद्धालु।
  5. रांची में छठ पूजा करते श्रद्धालु।

🙏 छठ पूजा के इस पावन अवसर पर सभी को प्रेम, प्रकाश और ईश्वरीय आशीर्वाद की शुभकामनाएँ।
आपके घरों में सदैव आस्था, आनंद और समृद्धि बनी रहे।

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