छठ पूजा – “खरना” का पावन सार

छठ पूजा – “खरनाका पावन सार
पाठ एवं चित्रअशोक करण

छठ पूजा के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं, विशेष रूप से इस दिव्य पर्व के दूसरे दिन “खरना” के शुभ अवसर पर।

“खरना” (या लोहंडा) अत्यंत आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह संयम, शुद्धता और आत्मसंयम का प्रतीक है। इस दिन व्रती (उपवास करने वाले) पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं — जो पूर्ण समर्पण और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

सूर्यास्त के समय भक्त पवित्र गंगा या स्वच्छ जल में स्नान करते हैं, नए वस्त्र धारण करते हैं और गुड़-चावल की खीर, रोटी तथा फलों का प्रसाद मिट्टी या तांबे के पात्रों में तैयार करते हैं। इन प्रसादों को भगवान सूर्य और छठी मइया को अर्पित किया जाता है, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की कामना के साथ।

Devotees worshipping Kharna puja on the occasion of Chhath in Ranchi, Jharkhand, India

पूजा के बाद व्रती स्वयं खरना प्रसाद ग्रहण करते हैं और उसे परिवार, पड़ोसियों तथा समाज के लोगों में बाँटते हैं — जो एकता, शुद्धता और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करता है।

यह दिन व्रती के आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धिकरण का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यह आत्मा को पवित्र कर आगामी दिनों के कठिन उपवास — संध्या अर्घ्य (शाम की पूजा) और उषा अर्घ्य (सुबह की पूजा) — के लिए तैयार करता है। खरना के माध्यम से भक्त क्षमा, आशीर्वाद और आंतरिक शांति की कामना करते हैं तथा सकारात्मकता और आध्यात्मिक शक्ति को अपनाते हैं।

Devotees preparing Kharna Prasad in Ranchi, Jharkhand, India.

गाँवों और नगरों में इस दिन का वातावरण अत्यंत दिव्य हो जाता है — नदियों और तालाबों की सफाई की जाती है, सड़कों को दीपों और फूलों से सजाया जाता है, और छठ के भजन व आरती की ध्वनियाँ वातावरण को भक्तिमय बना देती हैं।

बाजारों में भी रौनक होती है — बाँस की डलियाँ, फल, मिट्टी के पात्र और पूजा सामग्री की खरीदी पूरे उत्साह के साथ की जाती है। परिवार श्रद्धा और आनंद के साथ सूर्य उपासना के इस पर्व की तैयारियों में जुट जाते हैं।

🌅 छठ पूजा के बारे में
• चार दिवसीय पर्व जो भगवान सूर्य और छठी मइया को समर्पित है, प्रकृति और जीवनदायिनी सूर्य शक्ति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।
• “छठ” शब्द का अर्थ “छठा” है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को किए जाने वाले मुख्य अनुष्ठानों से जुड़ा है।
• यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ भागों में मनाया जाता है और नवरात्रि के बाद इसका विशेष महत्व होता है।

Fruit seller doing brisk business on the occasion of Kharna and Chhath festival in Ranchi, Jharkhand, India.

🌞 अनुष्ठानों की झलक

  1. पहला दिननहायखाय: व्रती नदी में स्नान कर उस जल से बना पवित्र भोजन ग्रहण करते हैं।
  2. दूसरा दिनखरना: दिनभर का निर्जला व्रत सूर्यास्त के समय गुड़ की खीर, रोटी और फलों के प्रसाद से खोला जाता है।
  3. तीसरा दिनसंध्या अर्घ्य: भक्त जलाशयों के किनारे बाँस की डलियों में प्रसाद लेकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
  4. चौथा दिनउषा अर्घ्य: प्रातःकालीन सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे का उपवास पूर्ण होता है।

चित्रों में:

  1. व्रती खरना पूजा करते हुए,
  2. भक्त खरना पूजा सामग्री तैयार करते हुए,
  3. रांची में फल विक्रेता।

छठ पूजा कृतज्ञता, सादगी और मनुष्य एवं प्रकृति के अटूट संबंध की सुंदर अभिव्यक्ति है — यह सूर्य देव की उपासना के माध्यम से जीवन, प्रकाश और समानता के सार्वभौमिक संदेश का उत्सव है।

🙏 यह छठ पूजा सभी के जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाए।

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