प्राचीन ज्ञान की खोज: नालंदा के खंडहरों की यात्रा
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बिहार, भारत में स्थित नालंदा के शांत खंडहरों के बीच खड़े होकर, मैं अतीत की गूंजों से मंत्रमुग्ध हो गया। यह केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह ज्ञान की अमर शक्ति का प्रमाण है।
नालंदा कोई साधारण प्राचीन नगर नहीं था; यह एक प्रसिद्ध बौद्ध महाविहार (विशाल मठ विश्वविद्यालय) था, जो प्राचीन और मध्यकालीन मगध में फला–फूला। यह प्राचीन दुनिया के सबसे महान शिक्षा केंद्रों में से एक था, जो राजगीर के पास स्थित था और पटना से लगभग 90 किलोमीटर दक्षिण–पश्चिम में स्थित है।
कल्पना कीजिए, पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित एक विश्वविद्यालय की! नालंदा ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की थी और दुनिया के कोने–कोने से छात्र यहां अध्ययन करने आते थे। यहाँ वेद, तर्कशास्त्र, व्याकरण, चिकित्सा, तत्वज्ञान और वाकपटुता जैसे विविध विषयों का गहन अध्ययन किया जाता था।
दुर्भाग्य से, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस बौद्धिक केंद्र को नष्ट कर दिया। इस निर्मम आक्रमण में मठों को तोड़ा गया, भिक्षुओं को मार दिया गया और अमूल्य पुस्तकालय को जला दिया गया। कहा जाता है कि आग महीनों तक जलती रही और लाखों दुर्लभ पांडुलिपियाँ जलकर राख हो गईं।
लेकिन नालंदा केवल अपने दुखद अंत के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है। इसकी विरासत आज भी जीवित है, न केवल एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में, बल्कि ज्ञान के प्रतीक के रूप में भी। इसके खंडहर आज भी इसकी भव्यता का प्रमाण देते हैं। स्तूप, मंदिर और विहार (आवासीय व शैक्षणिक भवन) उस युग की स्थापत्य कला की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।
रोचक बात यह है कि नालंदा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के “ना+अलम+दा” (ज्ञान देने वाला) से मानी जाती है, जो इसे ज्ञान से जोड़ता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भी सदियों पहले स्थापित, नालंदा में लगभग 90 लाख पांडुलिपियाँ थीं और यहाँ 10,000 से अधिक छात्र अध्ययनरत थे।
हाल के वर्षों में, बॉलीवुड फिल्म “जॉनी मेरा नाम” के एक प्रसिद्ध गीत ने नालंदा को फिर से चर्चा में ला दिया है। इस फिल्म में देव आनंद और हेमा मालिनी की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक स्थल को नई पहचान दिलाई, जिससे यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है।
अगर आप भी नालंदा की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके बजट के अनुसार राजगीर या बिहारशरीफ में ठहरने की अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ सार्वजनिक परिवहन जैसे टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं, हालांकि ट्रेन सेवाएँ सीमित हैं। यदि आप सुविधाजनक यात्रा चाहते हैं, तो पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित टूर पैकेज का लाभ उठा सकते हैं, जिसमें आमतौर पर नालंदा, पावापुरी और राजगीर का भ्रमण शामिल होता है।
तो, अगर आप कभी बिहार जाएँ, तो नालंदा के खंडहरों की यात्रा करना न भूलें। यह एक ऐसी यात्रा होगी जो आपको न केवल इतिहास के पन्नों में ले जाएगी, बल्कि आपको उस अपार ज्ञान की झलक भी देगी जो कभी यहाँ फला–फूला था।
नालंदा खंडहरों की तस्वीरें
लेख और फोटो– अशोक करन





